Monday, April 11, 2011

अन्ना जी राह बहुत कठिन है

लोकपाल विधेयक का एक ऐसा मसौदा तैयार करने की शुरुआत हो गयी है जो जनभावनाओ और जनाकांक्षाओं को समेटते हुए एक नवीन व्यवस्था का सृजन करेगा. अब सवाल कुछ ऐसे हैं जो अनुत्तरित रह जाते हैं. इन सवालों का जवाब हर किसी को देना होगा जो इस आन्दोलन से जुड़ा हुआ है. यह सवाल सरल हैं, यह सवाल सीधे हैं पर बेहद जरूरी हैं और पूरे देश को न सही पर कुछ उन लोगों को इनका जवाब जरूर चाहिए जिनके मन में यह सवाल उठ रहे हैं........
१. अरविन्द केजरीवाल साहब कल (१०.४.२०११) किसी न्यूज़ चैनल को साक्षत्कार में कह रहे थे की समिति में कौन है इस बहस में मत पड़िये, बहस ये हो की विधेयक का प्रारूप कैसा होगा! सही बात अरविन्द जी, परन्तु हम लोगों को दुर्भाग्य से अभी भी गाँधी जी की साधन की पवित्रता वाली बात नहीं भूली है . और हम सब समझ नहीं पा रहे हैं की महाराष्ट्र के गाँधी हमारे अन्ना जो अब पूरे देश में गांधीवाद के नए हस्ताक्षर के रूप में उभरे हैं वो साधन की पवित्रता वाली बात कैसे भूल गए या भूल सकते हैं.
२. ज्यादातर गैर सरकारी संगठन कॉर्पोरेट घरानों की आर्थिक सहायता पर काम करते हैं, ऐसे संगठन इतना नैतिक बल कहाँ से लायेंगे की वो उन लोगों के खिलाफ कड़ा कानून फ्रेम कर सकें जिनकी सहायता से वो चल रहे हैं. और हम सभी भली भांति ये जानते हैं की नौकरशाह और राजनेता भ्रष्टाचार करते हैं तो लाभ का सबसे बड़ा हिस्सा कुछ उद्योगों का होता है किसी राजनीतिक दल का नहीं.
३. एक सवाल यह है की कोई भी आन्दोलन बिना आर्थिक मदद के नहीं चलता है. जंतर मंतर पर जुटी भीड़ निश्चित तौर पर प्रायोजित नहीं थी पर सवाल यह है इतनी बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचने के लिए देश भर में जो दौरे किये गए उन दौरों में लगने वाला खर्चा किस स्रोत से आया या फिर किसने वहन किया .
४. जो मौजूदा समिति आज बनी है उसमे विपक्षी दलों से कौन लोग शामिल हैं यह पता नहीं चला पर जब बिल संसद में होगा तो इसका समर्थन या विरोध हम और आप नहीं यही राजनितिक दल करेंगे. तो क्यूँ नहीं उनको आज ही इस मुहीम में शामिल करके आने वाले कल की दुश्वारियों को आज ही ख़तम कर लिया जाता.
यह सवाल कुछ ऐसे हैं जो हम सब को बार बार लगातार परेशान करते हैं. इन सवालों का जवाब दिया जाना जरूरी है.
जय अन्ना जय गाँधी

Thursday, April 7, 2011

अन्ना के नाम एक पत्र


आदरणीय अन्ना
आप हम १२५ करोड़ भारतीयों के लिए आज आशा के एक नए पुंज के रूप में उदित हुए हैं. जो कुछ भी आप आज कर रहे हैं उसने हम सब के मन में एक नया जोश उत्साह और विश्वास भर दिया है. हम सब आज पूर्ण रूप से आश्वस्त हैं की आपके नेतृत्व में हम लोग भारतभूमि को भ्रष्टाचार रुपी दलदल से मुक्त करवा लेने की दिशा में एक ठोस कदम उठा लेंगे. पर आज इस अपार आशा के माहौल में मुझे इतिहास के कुछ उदाहरण याद आ रहे हैं. एक बापू का दूसरा लोकनायक का तीसरा माओ का चौथा कर्नल नसीर का और पांचवा नेहरु जी का. अपने अपने राष्ट्रों के लिए राष्ट्र निर्माता की हैसियत इन सभी की है पर इनके सपनो का कितना अंश इनके देश में आज दीखता है यह गंभीर सवाल है. गाँधी जी और लोक नायक के सपनो का भारत बनते बनते रह गया क्यूंकि शाशन की बागडोर उनके हाथ में नहीं उनके शिष्यों के हाथ में रही. आज आप भारत को एक नयी दिशा देने की देहलीज़ पर खड़े हैं और आपसे अनुरोध है की अपने शिष्यों पर एक प्रभावी नियंत्रण रखियेगा और आम जन से खुद समय समय पर मुखातिब होते रहिएगा, वरना शायद इस देश का जनमानस कल को आपके सपनो से दूर खड़ा दिखेगा बिना यह जाने हुए की वह दूर हो गया. हम नहीं चाहते की हमारी पीढ़ी को भी इतिहास याद रखे की हमने एक सूर्य की रौशनी को बर्बाद होने दिया नहा कर बाल सुखाने में, जब कि सारे कपडे गीले रह गए.
भारत कि आशा आप ही हैं .
आप का एक अनुयायी