Thursday, April 7, 2011

अन्ना के नाम एक पत्र


आदरणीय अन्ना
आप हम १२५ करोड़ भारतीयों के लिए आज आशा के एक नए पुंज के रूप में उदित हुए हैं. जो कुछ भी आप आज कर रहे हैं उसने हम सब के मन में एक नया जोश उत्साह और विश्वास भर दिया है. हम सब आज पूर्ण रूप से आश्वस्त हैं की आपके नेतृत्व में हम लोग भारतभूमि को भ्रष्टाचार रुपी दलदल से मुक्त करवा लेने की दिशा में एक ठोस कदम उठा लेंगे. पर आज इस अपार आशा के माहौल में मुझे इतिहास के कुछ उदाहरण याद आ रहे हैं. एक बापू का दूसरा लोकनायक का तीसरा माओ का चौथा कर्नल नसीर का और पांचवा नेहरु जी का. अपने अपने राष्ट्रों के लिए राष्ट्र निर्माता की हैसियत इन सभी की है पर इनके सपनो का कितना अंश इनके देश में आज दीखता है यह गंभीर सवाल है. गाँधी जी और लोक नायक के सपनो का भारत बनते बनते रह गया क्यूंकि शाशन की बागडोर उनके हाथ में नहीं उनके शिष्यों के हाथ में रही. आज आप भारत को एक नयी दिशा देने की देहलीज़ पर खड़े हैं और आपसे अनुरोध है की अपने शिष्यों पर एक प्रभावी नियंत्रण रखियेगा और आम जन से खुद समय समय पर मुखातिब होते रहिएगा, वरना शायद इस देश का जनमानस कल को आपके सपनो से दूर खड़ा दिखेगा बिना यह जाने हुए की वह दूर हो गया. हम नहीं चाहते की हमारी पीढ़ी को भी इतिहास याद रखे की हमने एक सूर्य की रौशनी को बर्बाद होने दिया नहा कर बाल सुखाने में, जब कि सारे कपडे गीले रह गए.
भारत कि आशा आप ही हैं .
आप का एक अनुयायी

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